


उदयपुर
खुद की जान दांव पर लगाकर सावित्री यमराज से अपने पति को वापस ले आई थी! उदयपुर में भी कुछ पत्नियां हैं, जिन्होंने खुद की जान दांव पर लगाकर अपने पति की जान बचाई। जहां पति की बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, परिवार के लोग पीछे हट गए, लेकिन पत्नी साथ खड़ी रही आखिर पति की जान बचा ली।
करवाचौध पर आज जानिए ऐसे ही पत्नियों की कहानी…
पहली कहानी है बापू बाजार में दुकान करने वाले पीयूष गुप्ता (33) और पत्नी पूनम गुप्ता की। साल 2018 में शरीर में दर्द की ज्यादा डोज लेने से पीयूष की दोनों किडनी खराब हो गई थी। कुछ समय तक डायलिसिस लिया, लेकिन तबीयत बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टर्स ने सिर्फ किडनी ट्रांसप्लांट ही एक उपाय बताया। पीयूष बताते हैं कि आज मेरा जीवन मेरी पत्नी की वजह से है। मेरी दोनों किड़नी खराब हुई तो उसने आगे से हंसते हुए किडनी देने की बात बोली। ये अटूट प्रेम देखकर मेरी आंखों में आंसू आने लगे थे।
पियूष गुप्ता (33) और पत्नी पूनम गुप्ता।
पियूष गुप्ता (33) और पत्नी पूनम गुप्ता।
पत्नी पूनम बताती हैं कि सुहाग के लंबी उम्र की कामना हर पत्नी करती है। मैंने भी मेरे पति के लिए यही किया। पति अगर स्वस्थ हैं तो मेरा जीवन खुशहाल दिखता है। वे बताती हैं कि किडनी दान करने के लिए हम जागरूकता का काम करते हैं। क्योंकि लोग किडनी दान करने के लिए सहज रूप से राजी नहीं हो पाते।
घनश्याम मेनारिया (32) और पत्नी मनीष। किडनी ट्रांसप्लांट के तीन माह बाद करवाचौथ भी मनाया।
घनश्याम मेनारिया (32) और पत्नी मनीष। किडनी ट्रांसप्लांट के तीन माह बाद करवाचौथ भी मनाया।
ससुराल वाले बोले, हमें जमाई चाहिए, बेटी जिंदगीभर सुहागिन रहे
ऐसी ही कहानी है उदयपुर के घनश्याम मेनारिया (32) की। 2018 में दवा की ज्यादा डोज से घनश्याम की दोनों किडनी खराब हो गई थी। पत्नी मनीषा किडनी देने के लिए तुरंत राजी हो गई। मनीषा के घरवालों ने घनश्याम के पिता अर्जुनलाल को कहा कि बेटी किड़नी देने को तैयार है। हमें तो हमारे जमाई की जिंदगी चाहिए, ताकि हमारी बेटी जिंदगीभर सुहागिन रहे। महंगे ट्रांसप्लांट के लिए पैसे नहीं थे। इलाज में देरी होने से घनश्याम की तबीयत बहुत बिगड़ती गई। ऐसे में पिता अर्जुनलाल ने जैसे तैसे पैसों का इंतजाम किया। बेटे का किडनी ट्रांसप्लांट करवाया। मनीषा बताती हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट के तीन माह बाद की करवाचौथ मेरे जीवन की सबसे अहम करवाचौथ थी। हर करवाचौथ मेरे पति भी व्रत रखते हैं। मेरे प्रति उनका अटूट प्रेम हमारे रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
नाथद्वारा निवासी नीना शर्मा ने किडने देकर पति की जान बचाई। लेकिन, कोरोना ने छीन लिया।
नाथद्वारा निवासी नीना शर्मा ने किडने देकर पति की जान बचाई। लेकिन, कोरोना ने छीन लिया।
शादी की सालगिरह पर पति को दिया था जीवनदान
कॉलेज में पढ़ाने वाली नाथद्वारा निवासी नीना शर्मा (54) ने शादी की सालगिरह पर अपने पति को किडनी देकर जान बचाई। 16 फरवरी 2020 को किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। उसी दिन शादी सालगिरह थी। 28 मई 2021 को कोरोना की दूसरी लहर ने मेरे पति को मुझसे अलग कर दिया। सात जन्म का वादा था, लेकिन अब अकेली खड़ी हूं लेकिन कमजोर नहीं हुई हूं। वे बताती हैं कि दोनों किड़नी खराब होने के बाद पति काफी समय डायलिसिस पर रहे। मैं उन्हें हमेशा मोटीवेट करती। वे भी मुझे कमजोर नहीं पड़ने देते। डॉ नीना के 21 साल का बेटा कान्हा और 29 साल की बेटी हर्षिता है।
सुभाष पूर्बिया (58) ने पत्नी कुलवंती पूर्बिया को खुद की एक किडनी देकर जान बचाई।
सुभाष पूर्बिया (58) ने पत्नी कुलवंती पूर्बिया को खुद की एक किडनी देकर जान बचाई।
यहां पति ने पत्नी को किडनी देकर बचाई जान
उदयपुर के हर्ष नगर में रहने वाले सुभाष पूर्बिया (58) ने पत्नी कुलवंती पूर्बिया को खुद की एक किडनी देकर जान बचाई। सुभाष बताते हैं कि करवाचौथ पर पति की लंबी उम्र के लिए पत्नि पूरे दिन बिना अन्न-जल के व्रत रखती है तो पति का भी धर्म है कि पत्नी को कभी कोई परेशानी नहीं आने दे। पत्नी कि किडनी खराब हुई तो पूरा परिवार सदमे में आ गया था। एक बार तो पत्नि का बचना मुश्किल लगने लगा था। बेटे निशांत ने होलेंड में जॉब का ऑफर ठुकरा दिया। बेटी मोनालिसा ने भी बैंक नौकरी छोड़ दी थी। मैंने आगे आकर पत्नि को किडनी देने की ठानी। 2019 में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ और आज हम दोनों बिल्कुल स्वस्थ हैं खुशी से जीवन जी रहे हैं।